किसान
मै किसान, यही मेरी पहचान
कर्म मेरी संस्कृति , मेहनत मेरा धर्म
नही सीखा है मेने छिपाना
अपने चेहरे की खुंशीयां
देह का मटमैला रंग
मेहनत के निशान।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
उपजाये मेने ही,
गेहूं, चना और बाजरा जेसे अनाज
अपने पसीने को बहाकर
आदत है मेरा , सुबहो-शाम , खेत-खलीहानl
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
दिये है मेने ही,
होली, वैशाखी और पौंगल जौसे त्योहार
अपने खेतो की फसले को लहराकर
खुंशीयां मनाये करोड़ो परिवार।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
कर्म मेरी संस्कृति , मेहनत मेरा धर्म
नही सीखा है मेने छिपाना
अपने चेहरे की खुंशीयां
देह का मटमैला रंग
मेहनत के निशान।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
उपजाये मेने ही,
गेहूं, चना और बाजरा जेसे अनाज
अपने पसीने को बहाकर
आदत है मेरा , सुबहो-शाम , खेत-खलीहानl
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
दिये है मेने ही,
होली, वैशाखी और पौंगल जौसे त्योहार
अपने खेतो की फसले को लहराकर
खुंशीयां मनाये करोड़ो परिवार।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
- रौशन लाल ‘DBG’
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