"किसान"
" यह सही नही कि मै एक गरीब किसीन' का बेटा हूं लेकिन मुझे गर्व है कि मै एक भारतीय किसान का बेटा हूं"। भारतीय किसान होने का गर्व,मां के हर्दय से निकली बोली बेटा के समान है।
आज से ही नही कई युगो से इस संसार के कई मनुष्यो को कृषि से ज्यादा लगाव था इसी लिए कृषि को पर्थम वय्वसाय मानते है। जिससे दुनिया के हरेक पृाणी चाहै वह मनुष्य , जानवर और पंझी क्योन हो सब इसी पर निर्भर है, अगर किसान कृषि करना छोऱ दे तो आप खुद ही अनुमान लगा सकते है कि इसका क्या पर्भाव इस दुनिया पर पऱेगा ।
आज भी भारत मे आधा से अधिक आबादी कृषि के कार्य करते है क्योकि उसको पता है अगर मैं यह कार्य करना छोऱ दू तो इस भारत मे ही नही इस दुनिया पर क्या मुशीबत बितेगी इस लिए कोई नमक रोटी ,तो किसी के घर सुबह नही तो रात या रात नगी तो सुबह" इत्यादी आपना पेट काट के इस कार्य को स्म्पुर्ण पुर्वक करते है और करते आ रहै़़़़़है। यही से मै अपनी लेख को विराम देता हुं और आपके बीच एक कविता पेश करताा हुं जो खुद से लिखा हुं। अगर आप भारतीय है। तो please share and comments करे
" किसान"
मै किसान, यही मेरी पहचान
कर्म मेरी संस्कृति , मेहनत मेरा धर्म
नही सीखा है मेने छिपाना
अपने चेहरे की खुंशीयां
देह का मटमैला रंग
मेहनत के निशान।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
उपजाये मेने ही,
गेहूं, चना और बाजरा जेसे अनाज
अपने पसीने को बहाकर
आदत है मेरा , सुबहो-शाम , खेत-खलीहान ।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
दिये है मेने ही,
होली, वैशाखी और पौंगल जौसे त्योहार
अपने खेतो की फसले को लहराकर
खुंशीयां मनाये करोड़ो परिवार।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
*रौशन लाल'DBG'.
आज से ही नही कई युगो से इस संसार के कई मनुष्यो को कृषि से ज्यादा लगाव था इसी लिए कृषि को पर्थम वय्वसाय मानते है। जिससे दुनिया के हरेक पृाणी चाहै वह मनुष्य , जानवर और पंझी क्योन हो सब इसी पर निर्भर है, अगर किसान कृषि करना छोऱ दे तो आप खुद ही अनुमान लगा सकते है कि इसका क्या पर्भाव इस दुनिया पर पऱेगा ।
आज भी भारत मे आधा से अधिक आबादी कृषि के कार्य करते है क्योकि उसको पता है अगर मैं यह कार्य करना छोऱ दू तो इस भारत मे ही नही इस दुनिया पर क्या मुशीबत बितेगी इस लिए कोई नमक रोटी ,तो किसी के घर सुबह नही तो रात या रात नगी तो सुबह" इत्यादी आपना पेट काट के इस कार्य को स्म्पुर्ण पुर्वक करते है और करते आ रहै़़़़़है। यही से मै अपनी लेख को विराम देता हुं और आपके बीच एक कविता पेश करताा हुं जो खुद से लिखा हुं। अगर आप भारतीय है। तो please share and comments करे
" किसान"
मै किसान, यही मेरी पहचान
कर्म मेरी संस्कृति , मेहनत मेरा धर्म
नही सीखा है मेने छिपाना
अपने चेहरे की खुंशीयां
देह का मटमैला रंग
मेहनत के निशान।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
उपजाये मेने ही,
गेहूं, चना और बाजरा जेसे अनाज
अपने पसीने को बहाकर
आदत है मेरा , सुबहो-शाम , खेत-खलीहान ।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
दिये है मेने ही,
होली, वैशाखी और पौंगल जौसे त्योहार
अपने खेतो की फसले को लहराकर
खुंशीयां मनाये करोड़ो परिवार।
मैं किसान यही मेरी पहचान।।
*रौशन लाल'DBG'.
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